10:12:00 PM
1
अंग्रेजी में एक कहावत है जस्टिस डिनाइड इज जस्टिस डिलेड. भारत की अदालतों में पिछले 10 साल से 20 लाख मामले लंबित पड़े हैं। न्याय की आस लगाए लोगों को दस से 15 साल तक का इंतजार करना पड़ रहा है। सुप्रीम कोर्ट से मिले आंकड़ों पर गौर करें तो आज भी 1600 मामलों पर सिर्फ एक जज की नियुक्ति है। इंडिया स्पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इस वक्त 5 हजार न्यायाधीशों की कमी है। अदालतों में लंबित मामलों की यह सबसे बड़ी वजह है। यानी पूरे देश में अभी भी 23 प्रतिशत न्यायाधीश कम हैं। लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक देश में 2013 तक एक न्यायाधीश के पास तीन साल में 1625 केस आते हैं।



गुजरात को लगेंगे 287 साल

अगर वर्तमान गति से केस का निपटारा हुआ तो अकेले गुजरात की निचली अदालतों को लंबित मामले निपटाने में 287 साल बीत जाएंगे। पूरे देश को देखें तो 2 करोड़ 50 लाख मामले अदालतों में लंबित हैं। इनको निपटाने में कम से कम 12 साल लगेंगे। हालांकि यह अलग-अलग राज्यों पर निर्भर करता है लेकिन औसतन हर महीने 43 मामले निपटाने पर ही 12 साल में यह बोझ खत्म हो पाएगा।

कोलकाता की स्थिति सबसे खराब

कानून मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा लंबित मामलों के मामले में पश्चिम बंगाल के कोलकाता जिले की स्थिति सबसे खराब है। इसके बाद वडोदरा का स्थान है। वहीं सिक्किम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में स्थिति सबसे अच्छी है।

10 लाख पर सिर्फ 17 जज

कुल जनसंख्या को देखें तो भारत में हर 10 लाख नागरिकों पर सिर्फ 17 न्यायाधीश मौजूद हैं। जबकि 1987 के लॉ कमिशन की 120वीं रिपोर्ट में देश में हर 10 लाख नागरिकों पर कम से कम 50 जजों के होने की सिफारिश की गई थी। राज्यसभा में प्रस्तुत आंकड़ों को देखें तो 1 अगस्त 2015 तक देश की सर्वोच्च न्यायालय में कुल 28 न्यायाधीश थे, वहीं 633 हाईकोर्ट जज थे। जबकि सुप्रीम कोर्ट में 31 न्यायाधीशों के लिए पद को अनुमति मिली हुई है। देश के हाईकोर्ट में 384 जजों के पद खाली पड़े हैं, वहीं अधीनस्थ न्यायालयों में 4580 पद खाली हैं। जबकि इनके लिए 20214 पदों को अनुमति मिली हुई है।

जम्मू-कश्मीर को निपटारे में लगेंगे 64 साल

10 साल से ज्यादा लंबित मामलों की संख्या उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा है। जहां अक्टूबर 2015 तक 27.4 प्रतिशत मामले दशक या उससे पुराने हैं। जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय को मौजूदा गति से मामले निपटाने में 64 साल का समय लगेगा वहीं हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में लंबित मामलों को निपटाने के लिए सिर्फ एक साल का समय चाहिए।

20 लाख से ज्यादा मामले 10 साल से लंबित

कानून मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश भर की अदालतों में 20 लाख से ज्यादा ऐसे मामले हैं जिनपर 10 साल या उससे ज्यादा समय से सुनवाई चल रही है। इतना ही नहीं अगर मौजूदा गति से इन मामलों पर सुनवाई चलती रही तो इनके निपटारे में 8 साल से कम समय नहीं लगेगा। इन 20 लाख में से 13 लाख आपराधिक मामले हैं।

मामले निपटाने में कर्नाटक सबसे ऊपर

राज्यों के आंकड़े देखें तो कर्नाटक की निचली अदालतों में एक अकेला न्यायाधीश हर महीने 113 मामलों की निपटाता है। वहीं दूसरी तरफ गुजरात में एक जज हर महीने सिर्फ 19 केस का निपटारा कर पाते हैं। मिजोरम और त्रिपुरा जैसे राज्यों में यह दर और कम है। जहां एक जज महीने भर में सिर्फ 13 केसों का निपटारा करते हैं। जबकि गुजरात की जिला और सत्र न्यायालयों में 1096 जज हैं। सबसे ज्यादा जजों के मामले में गुजरात पांचवें स्थान पर है। नंबर एक पर महाराष्ट्र और उसके बाद उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार हैं। 


1 comments:

  1. Liked videos http://www.youtube.com/watch?v=bTY5p3lt55g&list=LLnmaTSWQ7O4N463Cas7LWsw&sns=tw … via @youtube

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...