नई
दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 और
1971 में युद्ध हुआ था। लेकिन कोई नहीं जानता कि इन दोनों देशों के बीच में 1975
में भी एक युद्ध हुआ था। पाकिस्तानी अखबार डॉन के हवाले से इस बात का खुलासा हुआ
है। अखबार ने लिखा है कि इन दोनों देशों ने ही इस युद्ध को खुफिया रखा। इसकी एक
बहुत बड़ी वजह ये थी कि इस युद्ध को न हिन्दुस्तान जीत पाया न ही पाकिस्तान। इन
दोनों देशों के अलावा कंबोडिया भी इस युद्ध में शामिल रहा।
दिल्ली सम्मेलन में किया खुलासा
डॉन ने ये खुलासा हाल ही में भारतीय वैज्ञानिक प्रोफेसर नारायण जी हरीकृष्ण के हवाले से किया है। नारायण जी हरीकृष्ण ने कुछ दिनों पहले दिल्ली में हुए एक सम्मेलन में ये बात कही थी। उन्होंने कहा कि इस युद्ध का खुलासा इसलिए नहीं किया गया क्योंकि भारत और पाकिस्तान दोनों ही इस युद्ध में हार गए थे। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में जीत कंबोडिया की हुई थी।नहीं था पारंपरिक युद्ध
प्रोफेसर
ने बताया कि दोनों पक्षों ने इस युद्ध में पारंपरिक हथियारों का इस्तेमाल नहीं
किया था। क्योंकि ये कोई पारंपरिक युद्ध नहीं था। भारत ने हजारों साल पुराने
स्पेसशिप जैसे दिखने वाले यानों का इस्तेमाल किया था। इसी तरह के यानों का
इस्तेमाल पाकिस्तान की तरफ से भी हुआ था। प्रोफेसर के अनुसार कुछ समय पहले एक
कलेक्टर ने उनको कुछ तस्वीरें दिखाई थीं। जो कलेक्टर को इंदिरा गांधी के सामान को
खरीदते वक्त मिली थीं। इन तस्वीरों में भारत-पाकिस्तान सीमा पर भारतीय सैनिक भी
दिखाई दे रहे हैं। साथ ही सीमा के ऊपर आसमान में पाकिस्तान के यान भी उड़ते नजर आ
रहे हैं।
तस्वीरों की हुई पुष्टि
तस्वीरें
कितनी असली हैं इस बात का पता लगाने के लिए जब कार्बन डेटिंग का इस्तेमाल किया गया
तो इस बात की पुष्टि हो गई कि ये तस्वीरें 1975 के दौरान ही खीचीं गई थी। प्रोफेसर
ने एक दूसरे भारतीय पुरात्तविद अजय प्रेमनाथ से जब इस बारे में बात की तो उन्होंने
बताया कि जिस तरह के यान तस्वीरों में नजर आ रहे हैं उन यानों के कुछ अवशेष बिहार की सीमा पर भी मिले थे। प्रोफेसर प्रेमनाथ ने बताया कि ऐसे कॉकपिट इसी दौरान कंबोडिया में भी मिले थे।
कंबोडिया करना चाहता था कब्जा
प्रोफेसर
नारायण इस बात का पता लगाने के लिए तुरंत कंबोडिया गए। वहां उनकी मुलाकात डॉ.
पोमुला खमेर से हुई थी। उन्होंने बताया कि ऐसे कॉकपिट भारतीय एक जमाने में बनाया
करते थे। प्रोमुला ने बताया कि कंबोडिया जो एक जमाने में बहुत बड़ी ताकत हुआ करता
था। 1975 के दौरान कंबोडिया अपनी खोई हुई जमीन को हासिल करने की फिराक में था।
पाकिस्तान और भारत उसके लिए एक सॉफ्ट टारगेट थे क्योंकि इन दोनों के बीच में पहले
ही हालात खराब थे और ये दोनों ही आपस में दो युद्ध लड़ चुके थे। ऐसे में इन दोनों
पड़ोसी मुल्कों को आपस में लड़ाना कंबोडिया को काफी आसान नजर आ रहा था। कंबोडिया
ने पुराने यानों का इस्तेमाल कर के पाकिस्तान और भारत के बीच में युद्ध छेड़ने की
कोशिश की । कंबोडिया ने भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, बर्मा, नेपाल के इलाके
हड़पने की कोशिश की थी। लेकिन भारत और पाकिस्तान के बीच 1975 में हुई शिमला वार्ता
ने इस खतरनाक युद्ध को रोक दिया। इसके साथ ही कंबोडिया भी अपने हरकतों से बाज आ
गया। इस युद्ध को भले ही कंबोडिया भी न जीत पाया हो लेकिन भारत और पाकिस्तान की
दुश्मनी का फायदा उठाने की कोशिश उसने जरूर की हालांकि ये कोशिश सफल नहीं हुई। ये
भारत औऱ पाकिस्तान के संबंधों को बेहतर बनाने के लिए एक अच्छा उदाहरण है।
(सभी तस्वीरें प्रोफेसर नायारण ने पिछले महीने दिल्ली के सम्मेलन में प्रदर्शित की थी)
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