दिल्ली में लागू हुआ ऑड इवन फॉर्मूला फिलहाल पास होता नजर आ रहा है।
शुक्रवार को लोगों ने बड़ी संख्या में कार पूलिंग और सार्वजिनक यातायात का
इस्तेमाल कर सफर किया। लोगों के सहयोग से खुश होकर मुख्यमंत्री
केजरीवाल ने ट्वीट तक कर दया कि... delhi has done it… हालांकि यह भी साफ कर दिया है कि स्थायी
तौर पर यह फॉर्मूला दिल्ली में लागू नहीं किया जाएगा। ध्यान देने वाली बात है कि
दिल्ली पहला ऐसा शहर नहीं है जहां पर यह अस्थायी तौर पर लागू की जा रही है। दुनिया
के कई शहरों में यह योजना लागू की जा चुकी है। आइए इन शहरों के बारे में..
बीजिंग
यातायात को नियंत्रण में रखने के लिए नंबर प्लेट योजना कोई नहीं है। बीजिंग
ओलंपिक के दौरान प्रदूषण को कम करने के लिए चीनी प्रशासन ने कुछ दिनों के लिए अपनी
राजधानी में इसे लागू किया था।
साल
1989 में मैक्सिको सिटी में हफ्ते में एक दिने के लिए कार के इस्तेमाल पर पूरी तरह
से पाबंदी लगा दी गई थी। और इस दिन को नाम दिया गया था नो सर्कुलेटिंग डे।
कमियों से उठाया फायदा
कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि किसी योजना
की कमियों में अगर कुछ कमियां सामने आ जाती हैं तो लोग उसका फायदा उठाने लगते हैं।
ऐसा ही कुछ इस योजना के साथ भी दुनिया के कई हिस्सों में हुआ।
- मैक्सिको सिटी में लोग सुविधाजनक नंबर प्लेटों वाली और कारें खरीदने लगे।
- ये लोग नई कारों की बजाय अन्य देशों से पुरानी सस्ती कारों को खरीदने लगे।
- लोगों का झुकाव कार छोड़ कर मेट्रो का विकल्प चुनने के बजाय टैक्सी की तरफ हो गया।
- कई देशों में दो महीने तक लागू इस योजना के दौरान पेट्रोल की बिक्री बढ़ गई।
दिल्ली में समस्या
दिल्ली में सरकार ने एक जनवरी से 15 दिन के
लिए यह योजना ट्रायल के तौर पर शुरू की गई है। इससे पता नहीं चलेगा कि इस नीति का
क्या सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। एक खतरा यह भी है कि इस प्रतिबंध को धता बताने
के लिए अमीर लोग कई गाड़ियां खरीदेंगे और इससे समस्या और बढ़ जाएगी। इसके साथ ही
यह समस्या भी जल्द ही खड़ी हो जाएगी कि राज्य के बाहर से आने वाली गाड़ियों का
क्या किया जाए।
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