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फेसबुक ने दावा किया है कि 32 लाख लोगों ने फ्री बेसिक्स के सपोर्ट में ट्राई को मेल भेजे हैं। फेसबुक अपनी साइट पर सभी यूजर्स को यह मेल भेजने की नोटिफिकेशन भेज रही थी। इसके बावजूद फेसबुक के भारत में 12.5 करोड़ सक्रिय यूजर्स में से सिर्फ 32 लाख लोगों ने फ्री बेसिक्स के समर्थन में मेल भेजा है। इस हिसाब से देखा जाए तो फेसबुक के 100 में से सिर्फ 2 लोगों ने फ्री बेसिक्स का समर्थन किया है। यानी कंपनी ने जितने लोगों को इसका समर्थन करने के लिए कहा उनमें से सिर्फ दो लोगों ने ही फ्री बेसिक्स के लिए मेल लिखा। यानी फेसबुक के 98 फीसदी यूजर फ्री बेसिक्स के खिलाफ हैं। 











खतरनाक है फ्री बेसिक्स

फेसबुक का कहना है कि वे भारत के अधिकतर लोगों के फ्री में इंटरनेट की सुविधा देने चाहते हैं। इस फ्री इंटरनेट डाटा का खर्च टेलीकॉम कंपनियां उठाएंगी। अब सवाल उठता है कि बेसिक्स सेवा के तहत पैसों की भरपाई टेलिकॉम ऑपरेटरों को करनी होगी तो क्या ये ऑपरेटर मुफ्त में उपलब्ध कराई गई वेबसाइटों की कीमत अन्य साइटों के दाम बढ़ाकर नहीं वसूलेंगे? यानी उपभोक्ताओं को कुछ साइटें तो मुफ्त में मिलने लगेंगी, लेकिन कुछ के इस्तेमाल के लिए उन्हें ज्यादा पैसे चुकाने पड़ेंगे। 


नेट न्यूट्रेलिटी के खिलाफ 

‘नेट न्यूट्रेलिटी’ का मतलब है कि सभी ऑनलाइन सेवाओं के लिए एक ही तरह का इंटरनेट पैक हो। यानी यूजर जिस भी साइट या एप का इस्तेमाल करें, वह हर इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी से एक ही कीमत व स्पीड पर मिले। हालांकि टेलीकॉम कंपनियां चाहती हैं कि यूजर व्हाट्सएप, फेसबुक, जीमेल और तमाम ऑनलाइन साइटों के इस्तेमाल के लिए अलग-अलग नेट प्लान लें। इसे यूं समझा जा सकता है कि आपने दो अलग-अलग मॉडल की गाड़ी खरीदी है लेकिन पेट्रोल देने वाली कंपनी दोनों गाड़ियों के लिए अलग-अलग दर से पेट्रोल के दाम वसूल रही है।

फेसबुक से पांच सवाल
1.फ्री बेसिक्स पर इंटरनेट चुनिंदा वेबसाइटों के लिए ही मुफ्त है। अन्य साइटों को दायरे से क्यों बाहर रखा गया है?

 2.टेलिकॉम कंपनियां इसकी भरपाई कैसे करेंगी? क्या गारंटी है कि वे दूसरी इंटरनेट सेवाओं के दाम नहीं बढ़ाएंगी?
 
3.बिना फ्री बेसिक्स के भी हर साल 10 करोड़ नए लोग इंटरनेट से जुड़ रहे हैं। ऐसे में इस सेवा की क्या जरूरत है?
 
4.कई बड़ी साइटें फ्री बेसिक्स से नहीं जुड़ी हैं। ये साइटें अपने ग्राहकों के डाटा खपत की जानकारी क्यों दें। इनका ट्रैफिक फेसबुक के सर्वर से आएगा।  

5.इंडोनेशिया जैसे देशों में 60 फीसदी से अधिक लोग इंटरनेट को फेसबुक समझते हैं। क्या इन देशों में फेसबुक का एकाधिकार स्थापित नहीं हुआ है?


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