4:14:00 PM

नया साल निजी क्षेत्र में काम करने वाली महिलाओं के लिए तोहफा लेकर आ सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि श्रम मंत्रालय निजी क्षेत्र में नौकरी कर रही महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि को बढ़ाने के लिए राजी हो गया है। अभी तक निजी क्षेत्र में महिलाओं को सिर्फ 12 हफ्ते यानी 3 महीने का मातृत्व अवकाश (मैटरनिटी लीव) दिया जाता था। इसे बढ़ाकर अब 26 सप्ताह किए जाने पर मंजूरी दे दी गई है। भारतीय कंपनियों में इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कुछ ने इसका स्वागत किया है तो कुछ का कहना है कि ज्यादा छुट्टी से उन महिलाओं के करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा जो ऊंचे पदों पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभाल रही हंै। कुछ का मानना है कि वर्कफोर्स में महिलाओं की भागीदारी पहले से कम है अगर यह नियम आ जाता है तो महिलाओं को नौकरी मिलने में और परेशानी होगी। 

अभी क्या हैं नियम 
भारतीय मातृत्व लाभ एक्ट 1961 के मुताबिक एक महिला को 12 हफ्तों का मातृत्व अवकाश मिलता है। इसका आधा यानी 6 हफ्ते बच्चे के जन्म से पहले ले सकते हैं। अब इस कुल अवधि को 26 हफ्ते तक करने की योजना है। श्रम मंत्रालय इसे अंतिम रूप देकर अंतर-मंत्रालयी विचार विमर्श के लिए भेजेगा। इसके बाद विधि मंत्रालय और फिट कैबिनेट को स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। 

बच्चा गोद लेने वाली मां को भी लाभ
अभी तक बच्चे को जन्म देने वाली महिला कर्मचारी को ही मातृत्व हित लाभ अवकाश मिलता था। अब बच्चा गोद लेने वाली महिलाओं के साथ ही सरोगेट मदर को भी अवकाश लाभ दिए जाने की योजना है। सरकार एक प्रावधान पर विचार कर रही है जो तीन महीने तक की आयु वाले बच्चे को कानूनी तौर पर गोद लेने वाली महिलाओं को 16 हफ्ते का मातृत्व अवकाश प्रदान करेगा। 

बदलाव की जरूरत क्यों है
मैटरनिटी लीव में बदलाव की जरूरत कई वजहों से महसूस की गई। कई वैश्विक अध्ययनों से यह सामने आया कि महिलाएं इस कारण से शादी  करने और परिवार बढ़ाने में देर करती हैं क्योंकि उन्हें इसके लिए सिर्फ 12 हफ्ते की छुट्टी दी जाती है। कैटालिस्ट के सर्वेक्षण के मुताबिक भारत के वर्कफोर्स में आधी से ज्यादा महिलाएं अपनी भूमिका को अच्छे से सिर्फ इसलिए नहीं निभा पाती है क्योंकि उनके ऊपर परिवार और बच्चों की जिम्मेदारी भी होती है। कई अध्ययनों से यह भी सामने आया कि मैटरनिटी लीव बढ़ाने से शिशु मृत्युदर में कमी देखने को मिलती है। ब्रेस्टफीडिंग के मामले में भारत दक्षिण एशियाई देशों में भी काफी पिछड़ा हुआ नजर आता है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर साल 2.6 करोड़ बच्चे जन्म लेते हैं। इनमें से करीब 1.45  करोड़ अपने जीवन के पहले साल में ही उचित स्तनपान प्रक्रिया से वंचित रह जाते हैं। 

करियर रुकने की चिंता 
सरकार के इस कदम का विरोध करने वाली भारतीय कंपनियों ने अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। उनका कहना है कि यह संशोधन भले ही महिला कर्मचारियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जाएगा लेकिन उन महिलाओं का क्या जो किसी कंपनी में मुख्य किरदार निभा रही हों। कंपनी ऐसे में सिर्फ 6 महीने के लिए उन महिलाओं के एवज में किससे काम करवाएंगी। अगर कंपनी के अंदर से ही किसी व्यक्ति को महिला की जगह रख भी लिया जाए तो 6 महीने बाद महिला कर्मचारी के वापस लौटने पर दूसरे व्यक्ति को हटाना आसान नहीं। उनके मुताबिक सिर्फ छुट्टियां बढ़ा देने भर से वर्कफोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी को नहीं बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए कुछ ऐसे उपाय खोजने होंगे जिससे वे आसानी से घर और परिवार के बीच सामंजस्य बना सकें। 

इन देशों में सबसे ज्यादा मातृत्व अवकाश



असंगठित क्षेत्र की महिलाओं का क्या
नई योजना में असंगठित क्षेत्र की महिलाओं का कहीं जिक्र नहीं किया गया है। जबकि 2011-12 के आंकड़ों के मुताबिक भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में वर्कफोर्स में 24.8 प्रतिशत हिस्सेदारी महिलाओं की है। वहीं शहरी क्षेत्र के वर्कफोर्स में 14.7 प्रतिशत महिलाएं हैं। 

कुछ कंपनियां जो 3 महीने से ज्यादा की छुट्टी देती हैं :

फिल्पकार्ट : 24 सप्ताह की छुट्टी के साथ 4 महीने तक पूरे वेतन के साथ फ्लेक्सी-वर्किंग ऑवर। अगर जरूरत पड़ी तो एक साल बिना वेतन के ब्रेक।

एक्सेंचर इंडिया : साल 2015 से मातृत्व अवकाश लाभ बढ़ाकर 22 सप्ताह किया। कर्मचारी बिना वेतन के अपनी छुट्टी 9 महीने तक बढ़ा सकते हैं। 

गोदरेज, एचसीएल टेक्नोलॉजीस, हिंदुस्तान यूनिलीवर : 180 दिन का अवकाश सभी कर्मचारियों के लिए। यह योजना नए कर्मचारियों के लिए भी समान है। 

एसएपी लैब्स : भारत में 20 हफ्ते की सवेतन मैटरनिटी लीव। यह नियम उनके लिए भी जो बच्चा गोद लेते हैं। 

0 comments:

Post a Comment

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...