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ब्राजील समेत दुनिया के लगभग 15 देशों में जीका वायरस का खतरा बना हुआ है। भारत के लिए भी ये खतरा कम बड़ा नहीं है। डेंगू मच्छर फैलाने वाले एडिस मच्छर की भारत में भरमार है। ऐसे में भारत में बाहरी पर्यटकों का आना जाना भी लगातार बना हुआ है। जीका वायरस से भले ही मौत कम लोगों की होती हो लेकिन इसका असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर बहुत बुरा होता है। इससे उसका दिमागी विकास रूक जाता है। इन सारे खतरों को समझते हुए ही ब्राजील ने अपने देश की महिलाओं को अगले पांच से छह महीने तक बच्चे पैदा नहीं करने की सलाह दी है। इसके बाद ब्राजील में गर्भपात के अधिकार पर बहस शुरू हो गई है। आइए समझते हैं जीका वायरस है क्या और किस तरह से भारत के लिए भी खतरा है।


कैसे फैलता है वायरस

ये वायरस डेंगू के एडिस मच्छर से फैलता है। ये मच्छर भारत में हर राज्यों में हैं। इतना ही नहीं राजधानी दिल्ली के लिए ये एक बड़ी मुसीबत है।ऐसे में ये नहीं कहा जा सकता है जीका वायरस भारत के लिए खतरा नहीं है। इस वायरस से बच्चों में माइक्रोसिफेली की बीमारी आ सकती है। इससे प्रभावित बच्चो का सिर छोटा रह जाने से उनके दिमाग में परेशानी आ जाती है।


ये हैं लक्षण

वायरस जिन लोगों को अपना शिकार बनाता है उनको जॉइंट पेन, आंखे लाल होना, उल्टी, बेचैनी जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं। इसके कई मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत भी आ जाती है। अब तक पहचाने गए वायरस में ज्यादातर मामले जानलेवा नहीं है। लेकिन गर्भवती महिलाओं के बच्चों पर इसका बुरा असर पड़ता ही है। वायरस से पीड़ित मरीज को पूरी तरह से आराम करने के साथ, खूब पानी पीना चाहिए।


नहीं है कोई दवा

अभी तक इस वायरस से लड़ने की कोई दवा नहीं बनी है। फिलहाल तो हर हाल में मच्छरों के काटने से बचना ही एकमात्र उपाय है। जीका वायरस की पहली बार पहचान 1947 में हुई। जीका वायरस ब्राजील में बीते साल मई में पता चला था। यहां करीब डेढ़ लाख लोग इस वायरस से प्रभावित हैं।


डब्ल्यूएचओ ने बनाई टीम

जीका वायरस के व्यापक रूप को फैलने से रोकने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक टीम का गठन किया है। ये टीम तय करेगी कि क्या जीका को इबोला की तरह वैश्विक आपातकाल की तरह लिया जाना चाहिए।




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