शरणार्थियों का मददगार देश स्वीडन अब उनके लिए खुद संकट
पैदा करने जा रहा है। शरणार्थियों के लिए यह एक मुश्किल घड़ी है। स्वीडन में
लगातार पहचान पत्र न होने पर शरणार्थियों को देश छोड़ने को मजबूर किया जा रहा है।
वहीं कई दूसरे देशों की तरह स्वीडन भी अपनी सीमाओं पर बाड़ लगाने पर विचार कर रहा
है। यूरोप के कई देशों ने अपनी सीमा पर बाड़ लगा दी थी। स्वीडन उन देशों में शामिल
था जो ऐसे देशों की आलोचना कर रहा था। देखा जाए तो शरणार्थियों के लिए स्वीडन
जन्नत साबित हो रहा था। पिछले चार महीने में एक लाख से ज्यादा लोगों ने वहां पर
शरण ली है। लेकिन स्वीडन में भी हालात बदलने लगे हैं।
पहचान पत्र दिखाना होगा जरूरी
शरणार्थियों के लिए आईडी काडर् की बाध्यता पैदा की जा
रही है। नए नियम के तहत शरणार्थी जब भी डेनमार्क, जर्मनी या अन्य
किसी यूरोपीय देश से आने वाली रेल, बस या सार्वजनिक यातायात
से सफर करेंगे तो उनको पहचान पत्र दिखाना जरूरी होगा। हालांकि यूरोपीय के नागरिक
एक देश से दूसरे देश जाने के लिए पहचानपत्र की जरूरत नहीं होती है। ऐसा सिर्फ
आपातकाल में होता है। यूरोपीय संघ के देशों के बीच में एक संधि है जिसके कारणएक
देश से दूसरे देश जाने के लिए आईडी या पासपोटर् की जरूरत नहीं होती है।
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उचड़ रही है जन्नत
- शरणार्थियों को स्थायी घर नहीं दिया जाएगा। अस्थायी तौर शरण दी जाएगी।
- शरणार्थियों की संख्या अधिक होने पर हो सकते हैं कैंप में रहने को मजबूर
- एक से तीन साल तक ही अस्थायी तौर पर रह सकेंगे शरणार्थी।
- यूरोपीय संघ के कानून के तहत न्यूनतम शरणार्थियों को शरण दी जाएगी।
जर्मनी पर भी दबाव
शरणार्थियों की मदद करने में आगे रहे जर्मनी की चांसलर
एंजेला मार्केल पर भी ऐसा ही दबाव बनाया जा रहा है। जर्मनी ने इस साल दस लाख
शरणार्थियों को शरण दी है। लेकिन हाल ही में डेमोक्रेटिक पार्टी की कांफ्रेंस में
मार्केल को इस बात का काफी विरोध झेलना पड़ा था। इसके बाद से मार्केल भी
शरणार्थियों की संख्या घटाने पर विचार कर रही हैं।
यूरोपीय देशों के बीच हुआ था समझौता
इस साल अक्तूबर में शरणार्थी संकट बढ़ जाने के कारण यूरोपीय
संघ की तरफ से आपात बैठक बुलाई गई थी। इसमें 11 बिंदुओं पर सहमति बनी थी। समझौते
के लिए जो देश सबसे ज्यादा अग्रणी थे उसमें स्वीडन और जर्मनी थे। लेकिन अब इन
दोनों देशों ने ही शरणाथिर्यों को ठेंगा दिखाना शुरू कर दिया है। आइए जानते हैं
अक्तूबर में हुआ यूरोपीय संघ का समझौता क्या कहता है..
- ग्रीस प्रवासियों के लिए स्वागत केंद्र खोलेगा जहां कम से कम 30 हज़ार प्रवासियों को साल 2015 तक जगह मुहैया कराई जाएगी।
- संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी संस्था यूएनएचसीआर की तरफ से 20 हज़ार अतिरिक्त प्रवासियों को शरण देने की बात कही गई थी।
- कहा गया था कि बालकन देशों में प्रवासियों के लिए अतिरिक्त 50 हज़ार शिविरों के अलावा स्वागत केंद्र भी होंगे।
- विशेष अधिकारी तैनात किए जाएंगे जो अपने वरिष्ठ अधिकारियों और पड़ोसी देश को प्रवासियों की संख्या से संबंधित जानकारी मुहैया कराएंगे।
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