सीरिया में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट को कमजोर करने के लिए पश्चिमी देशों ने लड़ाई छेड़ी हुई है। अमेरिका के साथ मिलकर हवाई हमलों के जरिए इस्लामिक स्टेट को निशाना बनाया जा रहा है। लेकिन इस पूरे अभियान में अमेरिका और अमेरिकी मीडिया ने दुनिया से एक बहुत बड़ा सच छुपाया है। इस लड़ाई में अमेरिका का साथ दे रहा है अलकायदा। वह संगठन जो एक जमाने में अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन हुआ करता था। अमेरिकी मीडिया बेहद चालाकी से यह सारी चीजें लोगों से छुपा चुका है। यह अमेरिका की बहुत बड़ी गलती है। इस गलती की कीमत आने वाले सालों में पूरी दुनिया चुकाएगी।
अमेरिका बहुत ही चतुराई से यह सारे राज हमसे छुपाए हुए है। यह खुलासा किया है अमेरिकी पत्रकार गैरेथ पोर्टर ने। पोर्टर की माने तो अमेरिका की इस लड़ाई में मदद अल कायदा से जुड़ा संगठन अल नुसरा कर रहा है। कोई भी इस बात को दुनिया के सामने आने नहीं देना चाहता। इस्लामिक स्टेट को खत्म करने के लिए ही अमेरिका और सीआईए लगातार असद विरोधी दलों को हथियार देते रहे हैं। इन विरोधी दलों के जरिए ही यह हथियार अल नुसरा तक पहुंच रहे हैं।
पोर्टर लिखते हैं कि अमेरिका जानता है कि अल नुसरा के पास पहुंच रहे ये हथियार अमेरिका और पूरी दुनिया के लिए कितने खतरनाक साबित हो सकते हैं। इतना ही नहीं पोर्टर ने लिखा कि अमेरिका 9/11जैसी किसी घटना का सामना दोबारा नहीं करना चाहता। तो वह अपनी गलतियों को क्यों दोहरा रहा है।
पोर्टर कहते हैं कि जिस तरह से अमेरिकी मीडिया सीरियाई संकट को कवर कर रहा है वह बेहद शर्मनाक है। पोर्टर कहते हैं कि अमेरिकी मीडिया अलेप्पो के बारे में कहता रहा है कि इस्लामिक स्टेट के चुंगल में आने से यहां का माहौल बिल्कुल खराब हो चुका है जबकि यह एक स्वतंत्र इलाका हुआ करता था। लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि साल 2013 तक तो अल कायदा का ही अलेप्पो पर कब्जा था। तो क्या अब अमेरिका इस्लामिक स्टेट के गढ़ में अल कायदा को बैठाना चाह रहा है।
अमेरिकी मीडिया अपनी कमियां देखने के बजाय लगातार रूस पर गलतियों का ठीकरा फोड़ रहा है। अमेरिकी मीडिया का कहना है कि रूस अधिकतर नागरिकों को मार रहा है। रूस उन नागरिकों को मार रहा है जिनकी मदद अमेरिका कर रहा है। तो क्या अमेरिका अब अल कायदा से जुड़े लोगों को आतंकवादी न मान कर सीरियाई नागरिक मान रहा है।
अमेरिका से पहले भी अल नुसरा को खत्म करने की नीतियों को जानने की कोशिश की गई। लेकिन अमेरिका काफी सफाई से इन सवालों से बचता रहा है। इससे पहले भी रूसी मीडिया ने सवाल उठाए थे कि अगर अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है तो वह लगातार के खतरे को नजरअंदाज क्यों कर रहा है । वैज्ञानिकों का कहना है कि अल नुसरा आईएस से ज्यादा खतरनाक संगठन बन सकता है क्योंकि उसके पास अमेरिका के सारे हथियार पहुंच रहे हैं। कहना मुश्किल है कि अमेरिका इन सभी सवालों पर अब तक चुप क्यों है। कोई नहीं जानता कि यह अमेरिका की आतंकवाद से जुड़ी रणनीति है या फिर दूसरे 9/11 को न्योता देना।
अमेरिका बहुत ही चतुराई से यह सारे राज हमसे छुपाए हुए है। यह खुलासा किया है अमेरिकी पत्रकार गैरेथ पोर्टर ने। पोर्टर की माने तो अमेरिका की इस लड़ाई में मदद अल कायदा से जुड़ा संगठन अल नुसरा कर रहा है। कोई भी इस बात को दुनिया के सामने आने नहीं देना चाहता। इस्लामिक स्टेट को खत्म करने के लिए ही अमेरिका और सीआईए लगातार असद विरोधी दलों को हथियार देते रहे हैं। इन विरोधी दलों के जरिए ही यह हथियार अल नुसरा तक पहुंच रहे हैं।
पोर्टर लिखते हैं कि अमेरिका जानता है कि अल नुसरा के पास पहुंच रहे ये हथियार अमेरिका और पूरी दुनिया के लिए कितने खतरनाक साबित हो सकते हैं। इतना ही नहीं पोर्टर ने लिखा कि अमेरिका 9/11जैसी किसी घटना का सामना दोबारा नहीं करना चाहता। तो वह अपनी गलतियों को क्यों दोहरा रहा है।
पोर्टर कहते हैं कि जिस तरह से अमेरिकी मीडिया सीरियाई संकट को कवर कर रहा है वह बेहद शर्मनाक है। पोर्टर कहते हैं कि अमेरिकी मीडिया अलेप्पो के बारे में कहता रहा है कि इस्लामिक स्टेट के चुंगल में आने से यहां का माहौल बिल्कुल खराब हो चुका है जबकि यह एक स्वतंत्र इलाका हुआ करता था। लेकिन ध्यान देने वाली बात है कि साल 2013 तक तो अल कायदा का ही अलेप्पो पर कब्जा था। तो क्या अब अमेरिका इस्लामिक स्टेट के गढ़ में अल कायदा को बैठाना चाह रहा है।
अमेरिकी मीडिया अपनी कमियां देखने के बजाय लगातार रूस पर गलतियों का ठीकरा फोड़ रहा है। अमेरिकी मीडिया का कहना है कि रूस अधिकतर नागरिकों को मार रहा है। रूस उन नागरिकों को मार रहा है जिनकी मदद अमेरिका कर रहा है। तो क्या अमेरिका अब अल कायदा से जुड़े लोगों को आतंकवादी न मान कर सीरियाई नागरिक मान रहा है।
अमेरिका से पहले भी अल नुसरा को खत्म करने की नीतियों को जानने की कोशिश की गई। लेकिन अमेरिका काफी सफाई से इन सवालों से बचता रहा है। इससे पहले भी रूसी मीडिया ने सवाल उठाए थे कि अगर अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है तो वह लगातार के खतरे को नजरअंदाज क्यों कर रहा है । वैज्ञानिकों का कहना है कि अल नुसरा आईएस से ज्यादा खतरनाक संगठन बन सकता है क्योंकि उसके पास अमेरिका के सारे हथियार पहुंच रहे हैं। कहना मुश्किल है कि अमेरिका इन सभी सवालों पर अब तक चुप क्यों है। कोई नहीं जानता कि यह अमेरिका की आतंकवाद से जुड़ी रणनीति है या फिर दूसरे 9/11 को न्योता देना।
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