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आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट अपने नए गढ़ लीबिया में गरीब अफ्रीकी देशों के लड़ाकों की नई सेना बना रहा है। लीबिया की खुफिया एजेंसियों ने यह खुलासा किया है। आईएस चाड़, माली और सूडान जैसे गरीब देश के नागरिकों को एक हजार डॉलर यानि लगभग साठ हजार रुपये में भर्ती कर रहा है। ये लड़ाके ऐसे देशों से जुड़े हैं जहां पर एक दिन में 60 रुपये कमाना भी मुश्किल है।
तस्करी के जरिए पहुंच रहे लीबिया
लीबिया की सरकार का कहना है कि अफ्रीका के देशों से आ रहे लड़ाकों को रोकने में वह असमर्थ है। दरअसल इनमें से बहुत बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है जो मानव तस्करी के जरिए लीबिया पहुंचे हैं। साथ ही कुछ लड़ाके शरणार्थियों के समूहों में छुपकर भी वहां प्रवेश कर रहे हैं। ऐसे में लड़ाकों की पहचान करना बहुत मुश्किल है। 
गद्दाफी की नकल 

आईएस की ये भर्ती प्रक्रिया लीबिया के पूर्व तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी की सेना भर्ती प्रक्रिया की नकल बताई जा रही है। गद्दाफी भी सेना में भर्ती करने के लिए पैसों का लालच दे कर अफ्रीकी लोगों को लीबिया लाया करता था। गद्दाफी का गढ़ माने जाने वाले सिरते शहर में आईएस अपने इन मंसूबों को अंजाम दे रहा है। 
लीबिया के लिए अलग सेना

इस्लामिक स्टेट ने एक साल पहले लीबिया में अपने पैर जमा लिए थे। आईएस के लिए लीबिया यूरोप तक पहुंचने का एक अहम पड़ाव है। यहां से शरणार्थियों के समूहों में छुपकर आतंकी आसानी से यूरोप पहुंच सकते हैं। एक साल पहले लीबिया के तट पर इस्लामिक स्टेट ने कुछ बंधकों का सिर काटते हुए  वीडियो जारी किया था। उसके बाद इस बात का खुलासा हुआ था कि लीबिया के एक बड़े हिस्से पर आईएस ने कब्जा कर लिया है। 

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